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फुलबसिया फुलबसिया
उतर गई, खेतों में हाथों में लेकर हँसिया

फुलबसिया की काया साँवली अमा है
चमक रहा हाथों में किन्तु चन्द्रमा है
यह चन्द्रमा दूध-भात क्या देगा बच्चों को
लाएगा पेज और पसिया

फुलबसिया पल्लू को खींच
कमर काँछ कर साँय-साँय काट रही
बाँह को कुलाँच कर
रीपर से तेज़ चले सबसे आगे निकले
झुकी-झुकी-सी एक सँसिया

फुलबसिया खाँटी है खर खर खुद्दार है
बातों में पैनापन आँखों में धार है
काटेगी जड़ इक दिन बदनीयत
मालिक की बनता है साला रसिया

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