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Uttaraphalguni

उत्तरा फाल्गुनी २०१६ में प्रकाशित देवेन्द्र शर्मा इंद्र  का पंद्रहवाँ नवगीत संग्रह है। इसमें कुल ५२ गीत है। इसके प्रकाशक हैं- ज्योतिपर्वप्रकाशन, ९९-ज्ञानखंड -३, इंदिरापुरम, गाज़ियाबाद -२०१०१२। मूल्य है  २४९ रुपये और इसमें  १३६ पृष्ठ हैं।

इस नव्यतम संग्रह में 'इन्द्र' जी ने अपने अक्टूबर २०१२ से जून २०१६ तक के ५२ नवगीतों को स्थान दिया है। संस्कृत साहित्य के विद्वान  इन्द्र जी ने नवगीतों में प्राचीन भारतीय वाङमय के अनेक पात्रों और सन्दर्भों को लाक्षणिक रूप में व्यक्त करते हुए समकालीन प्रासंगिकता से जोड़ा है जो उनके लेखन को ऊँचाइयों पर ले जाता है। प्राचीन वाङमय, इतिहास या मिथक के अनेक चरित्र जो अपनी प्रवृत्तियों के पर्याय बन गए हैं उन्हें अनेक गीतों में प्रसंगानुसार लाक्षणिक रूप में प्रयोग किया है। योगेन्द्र दत्त शर्मा जी ने अपनी भूमिका में सच ही कहा है-अतीत या परम्परा में झाँकना वर्तमान से पलायन नहीं है बल्कि परम्परा से शक्ति संचित करके  भविष्य की ओर प्रस्थान है।

उसी अतीत और परम्परा से ऊर्जा ग्रहण करते हुए इन्द्र जी ने वर्तमान को भी अपने प्रस्तुत संग्रह के गीतों में संगुम्फित किया है। आयु के इस पड़ाव पर पहुँच कर भी 'इन्द्र' जी अपने समय की घटनाओं और सूचनाओं से स्वयं को न केवल अद्यतन करते  हैं बल्कि अपने लेखन में भी उस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैं।

बाह्य सूत्र[]

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