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Ret-par-pyaase-hiran

रेत पर प्यासे हिरन

२०१४ में प्रकाशित रेत पर प्यासे हिरन यतीन्द्रनाथ राही का चौथा नवगीत संग्रह है। ७२ गीतों के इस संग्रह में १५२ पृष्ठ हैं और इसका मूल्य है १५० रुपये। प्रकाशक हैं- ऋचा प्रकाशन, १०६ शुभम् ७ नं. बीडीए मार्केट, शिवाजी नगर, भोपाल-१६

संग्रह के गीतों में यतीन्द्रनाथ राही जीवन की सामान्य परिधि से ऊपर उठकर उनकी नैसर्गिक प्रतिभा और विलक्षण अभिव्यक्ति का बोध कराते हैं। जो पाठक को चमत्कृत करने के स्थान पर, उसकी ग्राह्यता की सीमा का उन्नयन कर, विविधता से परिचित कराते हैं। परिवेश में व्याप्त समस्त विषमता, विसंगति, विद्रूपता, मूल्यों का क्षरण, भारतीय सभ्यता का पतन, आम आदमी का जीवन-संघर्ष, शोषण-उत्पीड़न, व्यवस्था की विकृति आदि से कोई भी जागरूक रचनाकार विरक्त नहीं रह सकता है। समय की त्रासदी गीतों में आना अपरिहार्य है, 'राही' जी भी अपने गीतों में इस चुनौती को स्वीकार कर, नवगीत की देहरी पर दस्तक देते हैं।

बाह्य सूत्र[]

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