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पृथिवी का
जो हिस्सा मैंने घेरा है
इसके भी अतिरिक्त और कुछ मेरा है

वे भौगोलिक पृष्ठ
   न जिन पर कोई चरण छपे
   ज्वारों के वे सफ़्हे
   नहीं जिन पर संतरण छपे
भूगर्भों में
जो अनपठित अँधेरा है
इसके भी अतिरिक्त और कुछ मेरा है

मध्य रेख वाले वर्षा वन
   विष संचरित धरा
   सूरज के पहरे में
   तिमिरों से अपहृत धरा

वृक्ष ग्राम पर
पशुवत बास बसेरा है
इसके भी अतिरिक्त और कुछ मेरा है 

धरती सुदृढ़ किला
   कि जिसकी दीवारें उन्चास
   सेंध लगाते हैं सौदागर
   चौंक रही हर साँस

छाती तक
जो प्राण पवन का फेरा है
इसके भी अतिरिक्त और कुछ मेरा है

लाखों गलते सूर्य
   पिघलते नक्षत्रों के ज्वार
   पाँच उँगलियों के
   संस्पर्शों से होंगे गुलज़ार

चंदा पर
जो पहला पाँव उकेरा है
इसके भी अतिरिक्त और कुछ मेरा है।

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