वर्ष २०१५ में प्रकाशित 'अक्षर अक्षर फूल बनेजब' रणजीत पटेल का पहला नवगीत संग्रह है। ७९ पृष्ठ की इस कृति का मूल्य १०० रुपये है। प्रकाशक हैं— अभिधा प्रकाशन, मुजफ्फरपुर।
डॉ रणजीत पटेल वर्षा, शीत, पतझड़, वसंत, ग्रीष्म आदि प्रकृतिजन्य ऋतुओं के जितने भी प्रकार हैं, उन सब क्षणों को अपने गीतों में साकार करते हैं। प्रकृति के विविधवर्णी बिम्बों की सर्जना करते हैं। पारिवारिक-सामाजिक सम्बन्धों में बढ़ती दूरियों के साथ पर्यावरण में व्याप्त और निरंतर सघन होते प्रदूषण के प्रति भी गीतकार की चिंता संग्रह में शिद्दत से दिखाई पड़ती है। इतना ही नहीं, समाज में बढ़ती संवेदनहीनता, आपसी दूरियाँ और उनके साथ प्रकृति, पर्यायवरण, गरीबी-अमीरी, शोषण, अनाचार, मँहगाई, बाजारवाद, उपभोगी प्रवृत्ति का ऐसा वृतांत अपने गीतों में बुनते हैं कि गीत अगीत का अंतर बेमानी हो जाता है और रचना पूरी संवेदना के साथ मन में उतरती चली जाती है। डॉ. रणजीत पटेल रचना में गति-प्रवाह और गीतात्मकता के निर्वहन के प्रति सजग तो हैं, किन्तु कथ्य के साथ समझौता उन्हें स्वीकार नहीं। एक ईमानदार रचनाकार की यही पहचान है।